ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृदोष एक प्रकार का अशुभ योग है जो किसी व्यक्ति के कुंडली में तब बनता है जब उसके पूर्वज (पितृ) किसी कारणवश असंतुष्ट होते हैं या उनकी आत्मा को मोक्ष नहीं मिल पाता है। ऐसा माना जाता है कि यह दोष पूरे परिवार को प्रभावित करता है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहता है, जब तक कि इसका उचित समाधान नहीं किया जाता।
मुख्य कारण (Main Reasons): ज्योतिष मेंपितृदोष के निम्नलिखित कारण बताए गए हैं:
1. पूर्वजों का विधिवत तर्पण न होना: किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका विधिपूर्वक अंतिम संस्कार न किया जाना और नियमित तर्पण (जल अर्पण) व श्राद्ध आदि न किया जाना।
2. अकाल मृत्यु: किसी पूर्वज की अकस्मात, दुर्घटना या आत्महत्या जैसी अकाल मृत्यु होना।
3. पितृ ऋण का भुगतान न होना: मान्यता है कि हर व्यक्ति पर तीन ऋण होते हैं – देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। पितृ ऋण चुकाने के लिए श्राद्ध कर्म करना जरूरी होता है। इसे न करने पर यह दोष लगता है।
4. अन्य कारण: जरूरतमंदों की मदद न करना, पीपल के पेड़, गौ माता या प्रकृति का अनादर करना आदि।
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पितृदोष के लक्षण (Symptoms of Pitru Dosha)
माना जाता है कि पितृदोष होने पर जातक के जीवन में निम्नलिखित समस्याएं आती रहती हैं:
· संतान संबंधी समस्याएं: संतान का न होना, बार-बार गर्भपात होना, या संतान में कोई विकलांगता या स्वास्थ्य समस्या होना।
· कार्यक्षेत्र में बाधाएं: व्यापार व नौकरी में बार-बार असफलता, धन का न टिकना, हमेशा आर्थिक तंगी बनी रहना।
· स्वास्थ्य संबंधी issues: परिवार के सदस्यों में अक्सर बीमारी बनी रहना, रोग ठीक न होना।
· पारिवारिक अशांति: घर में constant तनाव और कलह का माहौल, आपसी मनमुटाव।
· शिक्षा में बाधा: बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना, योग्यता के बावजूद सफलता न मिलना।
· दुर्घटनाएं: जीवन में बार-बार दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटना।
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पितृदोष के उपाय (Remedies for Pitru Dosha)
इस दोष से मुक्ति पाने के लिए निम्नलिखित उपाय कारगर माने जाते हैं:
1. श्राद्ध पक्ष में तर्पण: पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का तर्पण (जल अर्पण) अवश्य करें। पिंड दान करना विशेष फलदायी माना जाता है।
2. पीपल की पूजा: प्रतिदिन पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं और उसकी परिक्रमा करें। शनिवार के दिन पीपल के नीचे दीपक जलाना चाहिए।
3. गाय की सेवा: गौ माता को रोटी खिलाएं या हरा चारा खिलाएं। गाय की सेवा से पितृ प्रसन्न होते हैं।
4. कौए को भोजन: रोजाना कौओं को आटे की गोलियां या भोजन दें। कौओं को पितरों का प्रतीक माना जाता है।
5. ब्राह्मण भोज: किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
6. गीता पाठ: नियमित रूप से श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें।
7. रुद्राभिषेक: शिव मंदिर में रुद्राभिषेक करवाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी से अपनी कुंडली दिखाकर सही और प्रभावी उपाय जानना चाहिए।
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Disclaimer: यह जानकारी पारंपरिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है। किसी भी गंभीर समस्या के लिए हमेशा योग्य डॉक्टर, काउंसलर या विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
